Description
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महर्षि कपिल द्वारा प्रणीत सांख्यदर्शनम में छह अध्याय हैं| सूत्रों की संख्या – ४५१ और प्रक्षिप्त सूत्रों को मिलाकर (४५१ ७६)=५२७ है| इस दर्शन का उद्देश्य प्रकृति और पुरुष की विवेचना करके उनके प्रथक – प्रथक स्वरुप को दिखलाना है जिससे जिज्ञासु व्यक्ति बंधन के मूल कारण अविवेक को नष्ट करके त्रिविध दुखों से छूटकर मोक्ष को प्राप्त कर सकें|
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