द्वितीय वेद के रूप में प्रसिद्ध यजुर्वेद ज्ञान (वेद) की वह शाखा है, जिस में यज्ञीय कर्मों का वर्चस्व है, क्योंकि इस के गद्यात्मक मंत्र पुरोहितों द्वारा यज्ञ संपन्न कराने के लिए संकलित किए गए थे। इसीलिए आज भी विभिन्न संस्कारों एवं यज्ञीय कर्मों के अधिकांश मंत्र यजुर्वेद के ही होते हैं। इस प्रकार ‘यजुर्वेद’ से वैदिक काल की यज्ञीय संस्कृति की झलक मिलती है। साथ ही ज्ञानविज्ञान, आत्मापरमात्मा तथा अन्य समाजोपयोगी ज्ञान भी इस में विद्यमान है। यह ज्ञान जनसाधारण तक पहुंच सकेµइसी उद्देश्य से ‘यजुर्वेद’ का यह सरल हिंदी अनुवाद प्रस्तुत है। सभी वर्गों के पाठकों के लिए उपयोगी, पठनीय एवं संग्रहणीय ‘यजुर्वेद’ का सरल, सरस एवं सुबोध हिंदी अनुवाद। यजुर्वेद का विषय केवल कर्मकाण्ड ही नहीं है, बल्कि इसमें वर्णित है अध्यात्म एवं दर्शन ,सृष्टि-रचना तथा मोक्ष, नैतिक तथा आचारमूलक शिक्षाएं , मनोविज्ञान बुद्धिवाद, समाज दर्शन , राष्ट्र भावना, पर्यावरण का संरक्षण। काव्य तत्व के अतिरिक्त यजुर्वेद में विद्यमान है, विश्व मानव की एकता जैसे उपयोगी विषय ।
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