Description
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महर्षि दयानंद की अद्भुत कृति है , इसमें मानव निर्माण के लिए सोलह संस्कारों का विधान है| क्योंकि सोलह संस्कारों के बिना मानव का जीवन-निर्माण नहीं हो सकता और संस्कारों के बिना उत्तम संतान का भी निर्माण नहीं हो सकता | उत्तम संतान संस्कारों से ही बनती है|
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