Description
भारत में संस्कृत भाषा के अध्यन की परंपरा अत्यंत प्राचीन है| पाणीनिकृत अष्टाध्यायी भाषाशाश्त्रियों के अनुसन्धान का केंद्र बिंदु रहा है| पाणीनि के पञ्चांग व्याकरण का पदानुक्रम कोश बनाने की श्रंखला में अष्टाध्यायी पदानुक्रमकोश के उपरांत पाणिनीय धात्व्नुक्रमकोश उसकी दूसरी कड़ी के रूप में सुधि पाठकों के समक्ष प्रस्तुत है|
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